विश्वप्रार्थना यानी जीवनविद्या तत्वज्ञान का सार है। यह एक संक्षिप्त, सुंदर और प्रगल्भ काव्य है जिसके उच्चारण मात्र से किसी व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और संपूर्ण विश्व को प्रभावित करने वाले स्पंद उत्पन्न होते हैं।
विश्वप्रार्थना द्वारा मानवता के तीन मौलिक मूल्य साध्य होते हैं - परस्परावलंबन, परस्पर जुड़े होना और परस्पर संबंधित होना। किसी विशिष्ट उम्र, जाति, पंथ या रंग पर आधारित ना होने के कारण यह विश्वप्रार्थना वैश्विक है। यह विश्वप्रार्थना केवल एक ही बात का पुरस्कार करती है; वह है अखिल मानव समाज की उन्नति।
विश्वप्रार्थना वैज्ञानिक, तार्किक और व्यावहारिक शब्दों से युक्त है। विश्व के लिए यह एक उपयुक्त, अनुकूल एवं कल्याणकारी पवित्र मंत्र है। विश्वप्रार्थना का उद्देश्य है - अखिल विश्व में सौहार्दपूर्ण परिणामों के हेतु एक ऐसे प्रभाव का निर्माण करना जिसकी नींव में सकारात्मक विचार हो।
विश्वप्रार्थना का सार:
हमारा दैनिक जीवन अनेक व्यक्तियों के सहकार तथा योगदान से चल रहा है। प्रार्थना हमें इस परस्परावलंबन का ज्ञान कराती है। इस कारण से आसपास की वस्तुओं तथा व्यक्तियों का भला हो यह इच्छा दिल से उत्पन्न होती है।
मानवता एक दूसरे के साथ जुड़ी है। हमारे विचार और भावनाएं नित्य हमारी कृति और प्रतिक्रियाओं द्वारा प्रतिबिंबित होते हैं। आप जो विचार करते हो और अनुभव करते हो वही साकार होता है। विश्वप्रार्थना के माध्यम से हम ये विचार सकारात्मकता में परिवर्तित कर सकते हैं।
अंततः हमारे परस्पर संबंध श्रृंखला रूप प्रतिक्रियाओं का निर्माण करते हैं; जिससे सकारात्मकता एवं सौहार्द की भावनाएं एक व्यक्ती से लेकर परिवार मेॅ, समाज में और राष्ट्र में प्रवाहित होते होते विश्वभर में फैल जाती हैं।
विश्वप्रार्थना में मनुष्य की सारी जरुरतें समाविष्ट हैं। भौतिक प्रगति (स्वास्थ्य, संपत्ति, समझदारी) से लेेकर आध्यात्मिक प्रगति तक (भगवद् भक्ति)। उसका सर्वसमावेशी स्वरूप उसे सुसंबद्ध बनाता है।
विश्वप्रार्थना बोलकर आप विश्व के हर एक व्यक्ति के लिए अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि, संपत्ति की मांग करते हैं। उनका जीवन आनंदमय हो, समृद्ध हो ऐसी आप इच्छा करते हो।
विश्वप्रार्थना की हर पंक्ति में समाविष्ट 'सबका' शब्द महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति के तौर पर जब आप सबकी भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं तब आपके विचारों का सचेतपूर्वक विस्तार होता है । नियमित अभ्यास से जब यह स्वाभाविक आदत में परिवर्तित हो जाता है तब आपको बड़े सुंदर अनुभव प्राप्त होते हैं।
प्रार्थना द्वारा 'सबके कारण मैं हूँ' यह भावना उत्पन्न होती है। आपका मन, आत्मा एवं शरीर एकजूट होते हैं और विश्व के हर एक व्यक्ति की भलाई का विचार करने वाले आपके मन को विश्व के साथ एकरूप बना देते हैं।
अनादी काल से मनुष्य की समस्याओं को सुलझाने हेतु नामस्मरण करने की सलाह दी गई है। तथापि विभिन्न कारणों से यह बहुत कठिन या लगभग असंभव है। विश्वप्रार्थना समस्या को सुलझाती है; साथ ही उसके परिणाम हम सहजता से अनुभव कर सकते हैं। आप जो कहते हैं वह आप केवल समझते ही नहीं बल्कि उसका काल्पनिक चित्र भी देख सकते हैं। विश्वप्रार्थना किसी भी अनभिज्ञ अस्तित्व या जटील तात्विक मूल्य की चर्चा नहीं करती। विश्वप्रार्थना मानवता के बारे में बात करती है।
यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि शुद्ध विज्ञान है। भौतिकशास्त्र का नियम है - हर एक क्रिया की समान और विरोधी प्रतिक्रिया होती है । जब आप हृदयपूर्वक प्रार्थना करते हैं तब आप वातावरण में सकारात्मक स्पंद भेजते हैं । बदले में वही आप पुनः प्राप्त करते हैं।
विश्वप्रार्थना का सौंदर्य यह है कि वह अत्यंत फ्लेक्झिबल है। इसे कोई भी, कभी भी, किसी भी जगह, किसी भी भाषा में बोल सकता है। उसके धार्मिक साहचर्य का अभाव उसे सभी द्वारा स्वीकारार्ह बनाता है।
आपने सद्गुरु जी से दीक्षा भले ही ना ली हो, फिर भी आप विश्वप्रार्थना बोल सकते हैं।
सारे ऐच्छिक परिणामों के लिए सोने से पहले १०८ बार प्रार्थना बोलें क्योंकि उस वक्त अंतर्मन अत्यंत ग्रहणक्षम होता है।
यदि विश्वप्रार्थना को सामूहिक तौर पर तथा ज्ञानी गुरु के सान्निध्य में बोला जाए तो त्वरित परिणाम प्राप्त होते हैं।
हृदयपूर्वक प्रार्थना बोलनी हो तो प्रथमतः उसके महत्व एवं सार को जानना आवश्यक है। हृदयपूर्वक बोली गई प्रार्थना दिव्य ऊर्जा को प्रतिध्वनीत करती है।
विश्वप्रार्थना द्वारा आकर्षण के नियमानुसार आपकी सकारात्मक ऊर्जा बुमरैंग की तरह अभिव्यक्त होती है। आपकी बेहतर बुआई आपको बेहतर उपज दिलाती है।
अपने आसपास के हर व्यक्ति तथा वस्तु का महत्व समझने से आप उनके प्रति विनम्र और कृतज्ञ हो जाते हो।
आपका कृतज्ञता भाव व्यापक होते हुए विश्व में प्रवाहित होता है जिससे शांति एवं सहिष्णुता वृद्धिंगत होती है।
सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण विचारधारा आपके मानसिक तथा शारीरिक सेहत पर सकारात्मक परिणाम करती है।